दिग्गज हैवीवेट चैंपियन जॉर्ज फोरमैन ने 76 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उनका जन्म 10 जनवरी 1949 को टेक्सस में हुआ था और वे अपने दौर के सबसे महान बॉक्सरों में गिने जाते थे। उनकी ज़िंदगी रिंग के अंदर और बाहर दोनों ही जगह प्रेरणादायक रही।
रिंग
में अजेय योद्धा
जॉर्ज फोरमैन ने अपने
करियर में कुल 81 मुकाबलों में हिस्सा लिया, जिनमें से उन्होंने 76 में जीत दर्ज की। खास बात
यह थी कि इनमें से 68 मुकाबलों में उन्होंने अपने विरोधियों को नॉकआउट कर जीत हासिल की थी। उनका
आक्रामक खेल और ताकतवर मुक्के उन्हें अपने युग का सबसे खतरनाक बॉक्सर बनाते थे।
पहला
वर्ल्ड टाइटल और 'रंबल इन द जंगल'
फोरमैन ने 1973 में जो
फ्रेजियर को हराकर पहली बार वर्ल्ड हैवीवेट चैंपियनशिप का खिताब अपने नाम किया।
इसके बाद उन्होंने दो बार अपने टाइटल को डिफेंड किया, लेकिन 1974 में एक
ऐतिहासिक मुकाबले 'रंबल इन द जंगल' में उनकी भिड़ंत महान मुक्केबाज मुहम्मद अली से हुई। इस रोमांचक फाइट में अली
ने अपनी रणनीति से फोरमैन को मात दी, और यह मुकाबला बॉक्सिंग
इतिहास के सबसे प्रतिष्ठित फाइट्स में से एक बन गया।
अचानक
संन्यास और फिर वापसी
मुहम्मद अली से हारने के
बाद फोरमैन कुछ मुकाबलों में ही नज़र आए और फिर 28 साल की उम्र में बॉक्सिंग
से संन्यास लेकर पादरी बनने का ऐलान कर दिया। लेकिन उनकी कहानी यहीं खत्म नहीं
हुई। 10 साल बाद उन्होंने फिर से रिंग में वापसी की और 46 साल की उम्र में माइकल
मूरर को हराकर दोबारा हैवीवेट चैंपियन बन गए। इस जीत के साथ वे वर्ल्ड हैवीवेट
चैंपियनशिप जीतने वाले सबसे उम्रदराज़ मुक्केबाज बन गए।
फैमिली
का भावुक संदेश
21 मार्च 2025 को जॉर्ज फोरमैन का निधन हो गया। उनके परिवार ने एक
भावुक संदेश साझा करते हुए कहा, "हमें यह बताते हुए गहरा दुख हो रहा है कि प्रिय जॉर्ज
एडवर्ड फोरमैन सीनियर अब हमारे बीच नहीं रहे।" यह खबर
बॉक्सिंग प्रेमियों और खेल जगत के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं थी।
एक
प्रेरणा और दिग्गज की विरासत
फोरमैन न सिर्फ एक बेहतरीन
बॉक्सर थे, बल्कि वे अपने विनम्र स्वभाव और प्रेरणादायक जीवन के लिए भी जाने जाते थे।
उनकी कहानी बताती है कि कैसे कोई व्यक्ति हार के बाद भी उठ सकता है और दोबारा
इतिहास रच सकता है। उनकी यादें और उनकी उपलब्धियां हमेशा खेल जगत में जीवित
रहेंगी।
जॉर्ज फोरमैन का जाना
बॉक्सिंग जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है, लेकिन उनकी कहानी सदियों
तक प्रेरित करती रहेगी।
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