🔥 वंदना कटारिया का ऐतिहासिक सफर: एक विदाई, अनेक यादें
"हॉकी ने मुझे वह
सब दिया जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी। अब मैं इसे अपनी शर्तों पर विदा दे
रही हूँ।"
15 अप्रैल 1992 को हरिद्वार के एक छोटे से गाँव रोशनाबाद में
जन्मी वंदना कटारिया ने भारतीय हॉकी को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया। आज, 32 साल की उम्र में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय हॉकी
से संन्यास लेने का ऐलान कर दिया, लेकिन उनका यह
सफर किसी "सपने से कम नहीं" रहा।
🏆 वंदना कटारिया के करियर के मुख्य आकर्षण
✅ 320 मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व – महिला हॉकी में सर्वाधिक
मैच खेलने का रिकॉर्ड।
✅ टोक्यो ओलंपिक 2020 में हैट्रिक –
साउथ अफ्रीका के खिलाफ नाजुक मौके पर जीत दिलाई।
✅ PM मोदी के 'बेटी बचाओ,
बेटी पढ़ाओ' की ब्रांड एंबेसडर – समाज में बेटियों को प्रेरित किया।
✅ भारतीय टीम की कप्तानी – नेतृत्व क्षमता और जुनून का परिचय दिया।
✅ FIH प्रो लीग में आखिरी मैच – फरवरी 2024 में भुवनेश्वर में खेला।
💔 "थकान नहीं, बल्कि शिखर पर
विदाई चाहती हूँ"
वंदना ने अपने संन्यास की
घोषणा करते हुए कहा –
"यह फैसला कठिन था,
लेकिन मैं अपने करियर के शीर्ष पर ही अलविदा
कहना चाहती थी। मैं इसलिए नहीं रुक रही क्योंकि मेरा जुनून कम हुआ है, बल्कि इसलिए क्योंकि मैं अपनी शर्तों पर जाना
चाहती हूँ।"
उन्होंने अपने पिता को
याद करते हुए कहा –
"वो मेरी चट्टान
थे। उनके बिना यह सफर अधूरा था।"
🚀 आगे का रास्ता: हॉकी से दूर नहीं, बस नया अध्याय
वंदना ने साफ किया कि वह
पूरी तरह से हॉकी को अलविदा नहीं कह रही हैं। उनकी योजनाएँ –
🔹 हॉकी इंडिया लीग में खेलना जारी रखेंगी।
🔹 युवा खिलाड़ियों को कोचिंग देना चाहती हैं।
🔹 महिला खेलों को बढ़ावा देने के लिए काम करेंगी।
🌟 वंदना की विरासत: "बेटियों के लिए एक प्रेरणा"
वंदना कटारिया ने साबित
किया कि छोटे शहरों से निकलकर भी दुनिया में अपनी छाप छोड़ी जा सकती है। उनका
संघर्ष, जुनून और समर्पण हर युवा
खिलाड़ी के लिए मिसाल है।
"मैं अंतरराष्ट्रीय हॉकी से विदा ले रही हूँ, लेकिन मेरी यादें और सीख हमेशा मेरे साथ रहेंगी।"
#VandanaKataria #HockeyLegend #WomenInSports #TokyoOlympics #BetiBachaoBetiPadhao #IndianHockey #Retirement
क्या आपको वंदना कटारिया
का यह सफर प्रेरणादायक लगा? 💬 नीचे कमेंट करके बताएं!
0 टिप्पणियाँ