शहीद दिवस 2025: अमर बलिदानों की गूंज और युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा
भारत में हर साल 23 मार्च
को शहीद दिवस (Shaheed Diwas) मनाया जाता है। यह दिन भारत माता के उन वीर सपूतों
भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को समर्पित है, जिन्होंने 1931 में
ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ संघर्ष करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी। इस दिन को
केवल एक यादगार दिवस के रूप में ही नहीं, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम
के संघर्षों और युवाओं के लिए प्रेरणा के रूप में भी देखा जाता है।
शहीद
दिवस का ऐतिहासिक महत्व
ब्रिटिश शासन के दौरान
भारत की स्वतंत्रता के लिए अनगिनत युवाओं ने अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। भगत
सिंह, सुखदेव और राजगुरु का बलिदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में मील का पत्थर
साबित हुआ। 1928 में लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए भगत
सिंह और उनके साथियों ने सांडर्स की हत्या की। 1929 में, भगत
सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने ब्रिटिश असेंबली में बम फेंककर अंग्रेजी सत्ता को
चुनौती दी। अंततः 23 मार्च 1931 को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को
फांसी दे दी गई।
शहीद
दिवस 2025 की थीम और संदेश
हर साल, शहीद
दिवस को एक विशेष थीम के साथ मनाया जाता है। 2025 की थीम हो सकती है – "युवाओं में राष्ट्रभक्ति
की भावना जागृत करना"। इसका
उद्देश्य नई पीढ़ी को देशभक्ति की भावना से जोड़ना और स्वतंत्रता सेनानियों के
विचारों को पुनर्जीवित करना है।
कैसे
मनाया जाता है शहीद दिवस?
- राष्ट्रीय स्तर पर आयोजन – देशभर में शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए
कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
- स्कूल और कॉलेजों में देशभक्ति गतिविधियां – निबंध प्रतियोगिता, भाषण और नाटक प्रस्तुतियां आयोजित की जाती हैं।
- राजघाट और शहीद स्मारकों पर श्रद्धांजलि – नेता और आम जनता शहीदों को नमन करने पहुंचती है।
- सोशल मीडिया पर जागरूकता अभियान – लोग देशभक्ति से जुड़े पोस्ट शेयर कर अपनी भावनाएं
व्यक्त करते हैं।
युवाओं
के लिए भगत सिंह की प्रेरणा
भगत सिंह केवल एक
क्रांतिकारी ही नहीं, बल्कि विचारों के अगुआ भी थे। उनका मानना था कि "क्रांति की तलवार
विचारों की धार पर तेज होती है।" आज के युवाओं को उनके विचारों से प्रेरणा
लेकर राष्ट्रहित में योगदान देना चाहिए।
निष्कर्ष
शहीद दिवस सिर्फ एक दिन का
आयोजन नहीं, बल्कि हमारे इतिहास और राष्ट्रभक्ति की पहचान है। 2025 में, हमें यह
संकल्प लेना चाहिए कि हम शहीदों के सपनों का भारत बनाएंगे – एक सशक्त, आत्मनिर्भर
और समृद्ध देश। आइए, इस दिन को केवल याद के रूप में नहीं, बल्कि प्रेरणा के रूप में
अपनाएं!
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