कर्नाटक के सबसे अमीर विधायक और बढ़ती असमानता
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्ट के अनुसार, कर्नाटक में 31 विधायकों के पास 100 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति है, जिससे राज्य देश के सबसे अमीर विधायकों की सूची में सबसे ऊपर है। इनमें उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार सबसे अमीर विधायक हैं, जिनकी संपत्ति 1,413 करोड़ रुपये से अधिक बताई जाती है। ऐसे में सवाल उठता है कि जब जनता महंगाई और आर्थिक असमानता से जूझ रही है, तब पहले से ही करोड़ों की संपत्ति रखने वाले विधायकों और मंत्रियों की सैलरी में इतनी बड़ी बढ़ोतरी क्यों की जा रही है?
मंत्रियों और अन्य सरकारी पदाधिकारियों की भी सैलरी बढ़ेगी
इस विधेयक के तहत सिर्फ विधायकों की ही नहीं, बल्कि मंत्रियों की भी सैलरी दोगुनी करने की योजना है। कर्नाटक मंत्री वेतन और भत्ता अधिनियम, 1956 में संशोधन करके मंत्री का वेतन 60,000 रुपये से बढ़ाकर 1.25 लाख रुपये किया जाएगा। इसके अलावा, HRA (हाउस रेंट अलाउंस) को 1.2 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये करने और सप्लीमेंट्री अलाउंस को 4.5 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने का प्रस्ताव है।
आम जनता की आमदनी पर असर और नीति आयोग की रिपोर्ट
नीति आयोग की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 6 वर्षों (2018-2023) में सिर्फ सांसदों और विधायकों की सैलरी में वृद्धि हुई है, जबकि अन्य अधिकांश क्षेत्रों में वेतन-भत्ते या तो स्थिर रहे या फिर घट गए। रिपोर्ट में पीरियॉडिक लेबर फोर्स सर्वे और EPFO डेटा के आधार पर यह आकलन किया गया है कि अधिकांश क्षेत्रों में वेतन-भत्तों की वृद्धि की तुलना में सप्लाई अधिक रही है, जिससे आमदनी पर असर पड़ा है।
कुछ पेशों में गिरावट, कुछ में मामूली बढ़ोतरी
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि जहां कैजुअल वर्कर्स की आमदनी में 2.8% की वृद्धि दर्ज की गई, वहीं कई महत्वपूर्ण सेक्टर्स जैसे क्लर्क और प्रोफेशनल्स के वेतन-भत्तों में गिरावट आई है। सबसे बड़ा आश्चर्य यह है कि औपचारिक रोजगार दोगुना होने के बावजूद वेतनभोगी कर्मचारियों की मांग कम हुई है। ग्लोबल सप्लाई चेन में बाधाएं और कमोडिटी प्राइस में उतार-चढ़ाव इसके पीछे प्रमुख कारण बताए जा रहे हैं।
सवाल उठता है कि यह सही है या नहीं?
विधायकों और मंत्रियों की सैलरी बढ़ाने के इस फैसले पर दो तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। एक तरफ सरकार इसे जनप्रतिनिधियों के कामकाज को प्रभावी और सुविधाजनक बनाने का तरीका बता रही है, वहीं दूसरी ओर जनता इस फैसले से नाराज नजर आ रही है। खासकर तब जब आम आदमी को महंगाई, बेरोजगारी और वेतन में स्थिरता जैसी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है।
इसलिए बड़ा सवाल यह है कि क्या विधायकों की सैलरी में बढ़ोतरी वाकई आवश्यक है या फिर इस पैसे को जनता की बेहतरी के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए?
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