1. कोच्चि टस्कर्स केरल (KTK)
साल 2010 में रोंदेवू स्पोर्ट्स वर्ल्ड कंपनी ने 1555 करोड़ रुपये में कोच्चि टीम खरीदी थी। 2011 के IPL में यह 9वीं टीम के रूप में शामिल हुई थी। महेला जयवर्धने की कप्तानी में इस टीम में ब्रेंडन मैक्कुलम, रवींद्र जडेजा, मुथैया मुरलीधरन और श्रीसंथ जैसे दिग्गज खिलाड़ी थे। हालांकि, टीम प्लेऑफ तक नहीं पहुंच सकी और अंक तालिका में आठवें स्थान पर रही।
कोच्चि भले ही एक सीजन में ही टूर्नामेंट से बाहर हो गई, लेकिन उसके खिलाफ ही सचिन तेंदुलकर ने अपने T-20 करियर का इकलौता शतक जमाया था। 15 अप्रैल 2011 को वानखेड़े स्टेडियम में मुंबई इंडियंस के लिए खेलते हुए सचिन ने यह कारनामा किया, लेकिन उनकी टीम कोच्चि से हार गई थी।
IPL से बाहर क्यों हुई? फ्रेंचाइजी के मालिक BCCI की बैंक गारंटी को रिन्यू नहीं करा सके थे। 6 महीने के इंतजार के बाद भी 156 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं हुआ, जिसके चलते 19 सितंबर 2011 को BCCI ने टीम को टर्मिनेट कर दिया। बाद में कोर्ट ने फ्रेंचाइजी के पक्ष में फैसला सुनाया और BCCI को 550 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया, लेकिन IPL में उनकी वापसी नहीं हो सकी।
2. पुणे वॉरियर्स इंडिया (PWI)
सहारा इंडिया ने 2010 में करीब 1700 करोड़ रुपये में पुणे फ्रेंचाइजी खरीदी थी। युवराज सिंह, सौरव गांगुली और ऐरन फिंच जैसे कप्तानों की अगुवाई में यह टीम खेली, लेकिन कभी भी खास प्रदर्शन नहीं कर सकी। तीन सीजन में 26% ही मैच जीत पाई और हर बार 8वें या 9वें स्थान पर रही।
2013 में इस टीम के खिलाफ क्रिस गेल ने IPL इतिहास की सबसे तेज सेंचुरी (30 गेंदों में) और 175 रनों की तूफानी पारी खेली थी। यह रिकॉर्ड आज तक कोई नहीं तोड़ पाया है।
IPL से बाहर क्यों हुई? टीम के मालिक सुब्रत रॉय 2013 में 170.2 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी को रिन्यू नहीं करा सके। इसके चलते 26 अक्टूबर को BCCI ने टीम को टर्मिनेट कर दिया। सहारा ग्रुप ने आरोप लगाया था कि उन्हें कम मैच खेलने दिए गए और BCCI ने बैंक गारंटी के पैसे अपने अकाउंट में ट्रांसफर कर लिए। विवाद बढ़ने के बाद सहारा ग्रुप ने IPL से नाम वापस ले लिया।
3. डेक्कन चार्जर्स (DC)
डेक्कन क्रॉनिकल होल्डिंग्स लिमिटेड (DHCL) ने 1000 करोड़ रुपये में इस टीम को खरीदा था। टीम ने 2008 में डेब्यू किया और 2009 में ही चैंपियन भी बन गई। एडम गिलक्रिस्ट की कप्तानी में रोहित शर्मा, डेल स्टेन, शाहिद अफरीदी और एंड्रयू सायमंड्स जैसे खिलाड़ी इस टीम का हिस्सा थे।
हालांकि, 2009 के बाद टीम का प्रदर्शन लगातार गिरता गया और हर बार 7वें या 8वें नंबर पर ही रही।
IPL से बाहर क्यों हुई? 2012 में DHCL ग्रुप आर्थिक तंगी में था और अपने खिलाड़ियों की सैलरी तक नहीं दे पाया था। BCCI ने उन्हें चेतावनी दी, लेकिन कर्ज में डूबी टीम ने सितंबर 2012 में खुद को बेचने की पेशकश की। बोर्ड ने 14 सितंबर को टीम को टर्मिनेट कर दिया।
2020 में कोर्ट ने DHCL के पक्ष में फैसला दिया और BCCI को 4814 करोड़ रुपये का मुआवजा देने को कहा। हालांकि, बाद में यह राशि घटाकर 36 करोड़ रुपये कर दी गई, लेकिन इससे डेक्कन चार्जर्स की वापसी नहीं हो सकी। बाद में सनराइजर्स हैदराबाद ने इस फ्रेंचाइजी को रिप्लेस कर दिया।
4. गुजरात लायंस (GL)
2016 में CSK और RR के दो साल के निलंबन के कारण गुजरात लायंस को शामिल किया गया था। राजकोट बेस्ड इस टीम को केशव बंसल ने खरीदा था। सुरेश रैना की कप्तानी में पहले ही सीजन में टीम अंक तालिका में टॉप पर रही, लेकिन प्लेऑफ में हारकर फाइनल में नहीं पहुंच पाई।
IPL से बाहर क्यों हुई? गुजरात लायंस सिर्फ दो साल के लिए IPL में शामिल की गई थी। 2018 में CSK और RR की वापसी के बाद इसे हटा दिया गया। 2022 में गुजरात टाइटंस के रूप में एक नई गुजरात बेस्ड टीम IPL में आई, लेकिन इसके मालिक CVC कैपिटल्स थे।
5. राइजिंग पुणे सुपरजायंट्स (RPS)
2016 में RPSG ग्रुप के संजीव गोयनका ने इस टीम को खरीदा था। पहले सीजन में MS धोनी कप्तान थे, लेकिन टीम अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई। अगले सीजन में स्टीव स्मिथ की कप्तानी में टीम ने फाइनल तक का सफर तय किया, लेकिन मुंबई इंडियंस से 1 रन से हार गई।
IPL से बाहर क्यों हुई? यह टीम भी सिर्फ दो सीजन के लिए बनाई गई थी। 2018 में CSK और RR की वापसी के साथ इसका सफर खत्म हो गया। हालांकि, संजीव गोयनका ने 2022 में लखनऊ सुपरजायंट्स फ्रेंचाइजी खरीदकर IPL में वापसी की।
निष्कर्ष
IPL में टीमें बनती और बिगड़ती रहती हैं। कुछ टीमें फाइनेंशियल दिक्कतों के कारण बाहर हो गईं, तो कुछ का सफर सिर्फ अस्थायी था। इन टीमों ने भले ही IPL में लंबा सफर तय न किया हो, लेकिन इनके यादगार पलों को कभी भुलाया नहीं जा सकता। IPL का रोमांच और इतिहास इन टीमों के योगदान के बिना अधूरा है।
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